गुरुवार, 2 अगस्त 2018

कविता-मातृ दिवस

कंचन सहाय, बचेली,दन्तेवाड़ा (छत्तीसगढ़)
मातृ दिवस विशेष
---------------------
जब देखती हूँ कोई माँ
तुम बहुत याद आती हो।
आज भी ताज़ा वह छवि
बचपन में जैसी बिछड़ी।
काश समय रुक जाता
टाइम मशीन के सहारे
हम पहुंच जाते
गोद में तुम्हारे और
नाना-नानी के।
संसार रूपी रेगिस्तान में
मृगमरीचिका सी
तेरी याद
नयनों में फिर वही
ज्वार भर लाता।
खो गए
बचपन के दिन
तुम्हारा लाड़-मनुहार
मेरा राजसी ठाट-बाट
जुड़ा अभावों से
नाता।
काश! तुम होती
मेरे बेटे का बचपन
लोरियों, कहानियों से
सज जाता।
माँ ममता
की तुम्ही हो
परिभाषा।